बिलासपुर // कृषि विज्ञान केन्द्र, बिलासपुर में एनआरएलएम योजना के अंतर्गत पशु सखियों का 17 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम भारत सरकार की राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ए-हेल्प (A-Help) द्वारा प्रायोजित किया गया था। जिसका आयोजन संचालनालय पशु चिकित्सा सेवाएं, छ.ग. राज्य पशुधन विकास अभिकरण एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान केन्द्र बिलासपुर के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर श्री सुरेश चंद्रवंशी, अध्यक्ष, छ.ग. राज्य कृषक कल्याण परिषद शामिल हुए। उन्होंने अपने उद्बोधन में इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में पशुधन के विकास हेतु पशु सखियां का कौशल विकास प्रशिक्षण काम आयेगा। साथ ही पशु सखियों के रूप में नारी शक्ति जगेंगी तो सारी समस्या दूर होगी। उन्होंने कहा यदि हम पशुओं की उचित देखभाल करने हेतु स्वयं ही अग्रसर हो जायें तो पशुधन पारिवारिक आय का एक मुख्य स्त्रोत हो सकता है। कौशल विकास प्रशिक्षण के माध्यम से पशु सखियां पशुपालन एवं इससे संबंधित आयामों की आधुनिक तकनीकों को स्व-रोजगार के उपाय सृजित कर सकती हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री माथी सिंह, प्रदेशाध्यक्ष, भारतीय किसान संघ छ.ग. ने गौ-आधारित खेती को अपनाने पर जोर दिया और कहा कि पशुधन पालन करके ही जैविक खादों का प्रयोग खेती में करके भूमि को लंबे समय तक उपजाऊ रखा जा सकता है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे डॉ. एस. एस. टुटेजा, निदेशक, विस्तार सेवाएं, ई. गां.कृ.वि. रायपुर ने कहा कि इस प्रशिक्षण के उपरांत प्रशिक्षित पशु सखियाँ पशुओं का टीकाकरण, स्वास्थ्य परीक्षण, कृत्रिम गर्भाधान आदि कार्यों को निश्चित तौर पर गांव में सहयोग कर सकती हैं तथा पशुपालन हेतु ग्रामीणों को प्रेरित कर सकती हैं।
इस अवसर पर अतिथि के रूप में उपस्थित कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर के अधिष्ठाता, डॉ. एन. के. चौरे ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पशु सखियों को पशुओं के देखभाल हेतु सम्पूर्ण पहलुओं में निपुण कर देगा। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उपस्थित कृषि महाविद्यालय, लोरमी के अधिष्ठाता, डॉ. एस. एल. स्वामी ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के द्वारा पशु सखियों ने पशुओं के स्वास्थ्य संबंधी, भोजन संबंधी सभी जरूरतों को समझा है । इससे ग्रामीण क्षेत्र में पशुधन विकास में मदद मिलेगी। इस अवसर पर अतिथि के रूप में उपस्थित अतिरिक्त उप निदेशक, पशुधन विभाग छ.ग. डॉ . टी.एस. सरजल ने कहा कि छ.ग. में ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सक की अनुपस्थिति में पशु सखियाँ पशुओं के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र, बिलासपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. अरूण त्रिपाठी ने कहा कि 17 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान पशु सखियों को पशु चिकित्सा, पशु आहार एवं पशुपालन आदि विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान मास्टर ट्रेनरों डॉ. तन्मय ओत्तलवार, डॉ. तापसी मंडल तथा डॉ. रंजना नंदा ने बहुत ही अच्छे तरीकों से सैद्धांतिक, प्रायोगिक एवं विभिन्न डेयरी इकाइयों के भ्रमण के साथ प्रशिक्षण प्रदान किया है जो कि पशु सखियों के कौशल विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगा। इस अवसर पर कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. गीत शर्मा तथा डॉ. संजय वर्मा भी उपस्थित थे। कृषि विज्ञान केन्द्र बिलासपुर के वैज्ञानिक डॉ. शिल्पा कौशिक, डॉ. एकता ताम्रकार, श्रीमती हेमकांति बंजारे, डॉ. अमित शुक्ला, श्री जयंत साहू, इंजी, पंकज निंज, डॉ. निवेदिता पाठक, डॉ. पंचला रानी पटेल, श्रीमती सुशीला ओहदार, डॉ. स्वाति शर्मा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में वैज्ञानिक डॉ. अमित शुक्ला ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित करने हेतु आयोजन से जुड़े हुए सभी व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया
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