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कम पानी में अधिक लाभ: मूंगफली खेती की सफलता

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बिलासपुर // भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि तकनीकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान जबलपुर एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम ने कृषि विज्ञान केन्द्र बिलासपुर द्वारा अंगीकृत ग्राम हिर्री का भ्रमण कर मूंगफली की उन्नत किस्म लीपाक्षी के उन्नत तकनीकी प्रदर्शन कार्यक्रम का निरीक्षण किया व कृषकों से चर्चा की।

उल्लेखनीय है कि कृषि विज्ञान केन्द्र बिलासपुर द्वारा 75 एकड़ क्षेत्रफल में मूंफली की उन्नत किस्म लीपाक्षी का बीजोपचार, संतुलित पोषण प्रबंधन, कतार बोनी, कीट व्याधि प्रबंधन का प्रशिक्षण देकर कृषकों के खेतों में प्रदर्शन कार्यक्रम किया जा रहा है। उक्त प्रदर्शन तिलहनी फसलों के क्षेत्रफल तथा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ऑयलसीड मॉडल विलेज योजनान्तर्गत किया जा रहा है, जिसका निरीक्षण डा. हरीश एम.एन., वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, अटारी, जबलपुर, डा. जे.आर. पटेल, वरिष्ठ प्राध्यापक तथा डा. डी.पी. पटेल, वैज्ञानिक, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा 18 फरवरी 2025 को किया गया व कृषकों से चर्चा की गई। सम्पूर्ण बिलासपुर जिले में सिंचित दशा में किसान धान, गेहूं जैसी फसलें ले रहे हैं, वहीं कृषि विेज्ञान केन्द्र, बिलासपुर की पहल पर किसान मूंगफली की भी फसल ले रहे हैं, जिसमें धान-गेहूं की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है यह जल्दी पक कर तैयार हो जाती है व आर्थिक लाभ भी धान गेहूं के बराबर या अधिक होता है। निरीक्षण के दौरान कृषि विेज्ञान केन्द्र बिलासपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डा. अरूण त्रिपाठी तथा केन्द्र के वैज्ञानिकगण डा. शिल्पा कौशिक, हेमकांति बंजारे, जयंत साहू ने प्रदर्शन कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। निरीक्षण दल ने कृषकों से चर्चा कर अच्छी फसल की प्रशंसा की।

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भूपेन्द्र पाण्डेय

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