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जलभराव से त्रस्त राजकिशोर नगर का तुलसी आवास, बरसात में सड़क पर चलना भी मुश्किल सीसी रोड की खराब हालत से बढ़ी परेशानी, पानी निकासी नहीं होने से घरों तक फैली बदबू

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बिलासपुर :— स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर को 3 लाख से 10 लाख जनसंख्या वाले शहरों में देश का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है। लेकिन शहर के वार्ड नंबर 51 में एक छोटे से मोहल्ले, तुलसी आवास, राजकिशोर नगर के एक ब्लॉक में व्याप्त गंदगी और जलभराव की स्थिति इस उपलब्धि पर सवाल उठा रही है।

स्थानीय निवासियों के अनुसार, इस ब्लॉक की सड़कों पर गंदा पानी भरा हुआ है, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को आवागमन में भारी कठिनाई हो रही है जिसके  कारण बदबू पूरे क्षेत्र में फैल रही है, जो लोगों के घरों में घुस रही है। इस स्थिति ने न केवल रहवासियों का जीना मुहाल कर दिया है, बल्कि संक्रामक रोगों और महामारी का खतरा भी बढ़ा दिया है। कई लोग बीमार पड़ चुके हैं, और स्थानीय निवासियों में गंभीर बीमारियों के फैलने का डर व्याप्त है।सड़क पर गंदा पानी और कीचड़ इतना है कि पैदल चलना मुश्किल हो गया है। बच्चे स्कूल जाने में डरते हैं, और बदबू से सांस लेना दूभर हो रहा है। अगर यही हाल रहा तो कोई बड़ी बीमारी फैल सकती है।

बिलासपुर जैसे बड़े शहर, जो कई किलोमीटर में फैला है और सैकड़ों मोहल्लों से मिलकर बना है, में एक छोटे से मोहल्ले की ऐसी दुर्दशा स्वच्छता के दावों पर सवाल खड़े करती है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर एक छोटे से क्षेत्र में जलभराव और गंदगी का यह आलम है, तो पूरे शहर की स्वच्छता की स्थिति पर भरोसा करना मुश्किल है।

 

निवासियों ने आरोप लगाया कि नगर निगम और स्थानीय प्रशासन इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रहा है। नालियों की नियमित सफाई और जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।लोगों  ने कहा, “हमने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। स्वच्छता में दूसरा स्थान पाने का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।”

तुलसी आवास, राजकिशोर नगर के निवासियों ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। वे चाहते हैं कि नालियों की सफाई, सड़कों से जलभराव हटाने और नियमित फॉगिंग की व्यवस्था की जाए ताकि बीमारियों के खतरे को रोका जा सके। साथ ही, उन्होंने स्वच्छता सर्वेक्षण की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए और मांग की कि शहर के सभी हिस्सों की वास्तविक स्थिति की जांच की जाए।

बिलासपुर की स्वच्छता रैंकिंग भले ही कागजों पर चमक रही हो, लेकिन तुलसी आवास जैसे छोटे मोहल्लों की स्थिति हकीकत बयान कर रही है। यदि प्रशासन ने जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया, तो न केवल स्थानीय निवासियों का विश्वास टूटेगा, बल्कि शहर की स्वच्छता की छवि भी धूमिल हो सकती है।

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भूपेन्द्र पाण्डेय

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