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छत्तीसगढ़ की शिक्षिका रंजिता राज ने पुतली कला में मारी बाजी

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सक्ती // भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र, हैदराबाद में शिक्षकों के लिए 15 दिवसीय शिक्षा में कठपुतलि कला की उपयोगिता हेतु राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। जिसमें सक्ती जिले से ज़िला शिक्षा अधिकारी एन के चंद्रा के मार्गदर्शन में शासकीय प्राथमिक शाला पांड़ाहरदी, विकासखंड जैजैपुर में पदस्थ सहायक शिक्षक रंजिता राज ने राष्ट्रीय कार्यशाला में भाग लिया।

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार नयी शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षा में पुतली कला की भूमिका विषय पर 15 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन 28 अगस्त से 11 सितंबर तक सीसीआरटी सेंटर, माधापुर-हैदराबाद में आयोजित किया गया। जिसमें छत्तीसगढ़, अरूणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, झारखण्ड सहित अन्य राज्यों के प्राथमिक शाला के 53 शिक्षकों ने भाग लिया। इस हेतु एससीईआरटी तथा समग्र शिक्षा परियोजना कार्यालय रायपुर के द्वारा सक्ती जिले से रंजिता राज का चयन किया गया था। इसके अलावा छग की टीम में कविता कोरी (बिलासपुर), पद्मजा गुप्ता (गरियाबंद), हिरोंदा कोराम (कांकेर), श्रद्धा शर्मा (रायपुर), नीलमणि साहू (बस्तर), नानू कुमार यादव (रायगढ़) व अमित प्रजापति (बालोद) शामिल थे।

 

15 दिवसीय कार्यशाला में पुतलीकला के प्रकार, उनके लाभ, पुतली कला को शिक्षा से जोड़ते हुए कहानी के माध्यम से पाठ को रोचक बनाना, शिक्षा में रंगमंच व नाटक का प्रयोग, आवाज़ का वर्गीकरण, माईम्स, चित्रकला, हस्तकला, गीत, नृत्य का प्रशिक्षण विशेषज्ञों द्वारा उक्त विषय का प्रयोग कर नयी शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अंतर्गत बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु देशभर के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया। कल्चरल एक्टिविटी के अंतर्गत छत्तीसगढ़ की टीम ने पारम्परिक नृत्य, कर्मा, ददरिया, सुआ, राऊत नाचा, बस्तरिया नृत्य के साथ ही छग के तीज त्यौहार, परम्परा, पर्यटन, बस्तर दशहरा, तीरथगढ़, चित्रकोट, कुटुमसर गुफा तथा माई दंतेश्वरी के सम्बन्ध में शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुति देते हुए छत्तीसगढ़ के व्यंजन खुरमी,ठेठरी,अईड़सा,कटवा,कुशली,खाजा,खजूर,सलोनी, अक्ती बिहाव, तीजा-पोरा, ईशर-गौरा आदि की झांकी सजाकर सबको छत्तीसगढ़ी परम्परा से रूबरू कराया।

छत्तीसगढ़ की टीम ने स्टिक पपेट, ग्लवस पपेट, फिंगर पपेट, और शैडो पपेट का जबरदस्त समायोजन करते हुए पर्यावरण संरक्षण पर सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति दी। जिसकी सभी प्रतिभागी शिक्षकों ने जमकर सराहना की तथा छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया का नारा लगाते झूमते रहे। सत्र के दौरान सलार जंग म्यूजियम, क़ुतुबशाही टोंब, गोलकोंडा फ़ोर्ट तथा शिल्पारामम् म्यूजियम का शैक्षिक भ्रमण भी कराया गया। कार्यशाला के अंतिम दिवस 11 सितंबर को संस्था के निर्देशक चंद्र शेखर, कार्यशाला के सह-संयोजक सौंदर्या कौशिक के द्वारा सफल प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान वितरण कर बधाई दी गयी। विकास खंड शिक्षा अधिकारी वी के सिदार द्वारा शुभकामना प्रेषित कर शाला में इसका क्रियान्वयन हेतु निर्देश दिए गए।

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भूपेन्द्र पाण्डेय

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